Sunday 5 May 2019

दहेज प्रथा एक भयानक समस्या तथा निवारण

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यह प्रथा कब शुरू हुई इसका सही अनुमान तो लगाया नहीं जा सकता, पर यह प्रथा अत्यंत प्राचीन है , और हमारी लोक कथाओं और प्राचीन काव्य में दहेज प्रथा का काफी वर्णन देखा जा सकता है । दहेज एक सात्विक प्रथा थी। पिता के संपन्न घर से पति ग्रह में प्रवेश करते ही पुत्री के पिता का घर पराया हो जाता है। उसका पितृग्रह से अधिकार समाप्त हो जाता है । 
अतः पिता अपनी संपति का कुछ भाग दहेज के रूप में विदाई के समय कन्या को देता है। दहेज में एक साथ सात्विक भावना और भी है। कन्या अपने घर में श्री समृद्धि के सूचक बने अतः उसका खाली हाथ पति ग्रह में प्रवेश अपशकुन माना जाता है । फलत: वह अपने साथ वस्त्र - बर्तन तथा अन्य ऐशो आराम की चीजें साथ ले जाती है।
2. दहेज प्रथा का विकृत रूप
आधुनिक युग में कन्या की श्रेष्ठता सील सौंदर्य से नहीं बल्कि दहेज में दी जाने वाली रकम से होती है । कन्या की कुरूपता और कुसंस्कार दहेज के आवरण में छिप जाते हैं । खुलेआम वर की बोली लगती है, देश में प्रायः राशि से परिवारों का मूल्यांकन होने लगा । और जिसे समस्त समाज से ग्रहण कर ले वह दोष नहीं गुण बन जाता है , फलत: दहेज सामाजिक विशेषता बन गई
दहेज प्रथा को वर पक्ष की लोकगीत बेटी ने भी इसको इसी को बूढ़ा बढ़ावा दिया है दूसरी और ऐसे लोग जिन्होंने काफी काला धन इकट्ठा कर लिया था वह बढ़-चढ़कर दहेज देने लगे उनकी देखा देखी अथवा अपनी कन्याओं के लिए अच्छे वर तलाश करने के इच्छुक निर्धन लोगों को भी दहेज का प्रबंध करना पड़ा इसके लिए बड़े-बड़े कर्ज लेने पड़े संपत्ति बेचने पड़े अपार परिश्रम करना पड़ा पर लेकिन वर पक्ष की मांगे सुरसा के मुंह की भांति बढ़ती गई दहेज प्रथा का का मुख्य कारण यह भी है कि आज तक हम नारी को बराबर नहीं समझते लड़के वाले समझते हैं कि वह लड़की वालों पर बड़ा एहसान कर रहे हैं।
3. दहेज प्रथा का समाधान
दहेज प्रथा समाप्त करने के लिए स्वयं सबसे पहले युवकों को आगे आना चाहिए । उन्हें चाहिए कि वे अपने माता-पिता तथा संबंधियों को स्पष्ट शब्दों में कह दे - की शादी होगी तो बिना दहेज के होगी ।युवकों को चाहिए कि वे उस संबंधी का डटकर विरोध करें जो नव विवाहिता को शारीरिक या मानसिक कष्ट देता है।
दहेज प्रथा की बुराई को कम करने के लिए नारी का आर्थिक दृष्टि से स्वतंत्र होना भी बहुत जरूरी है । अगर वे आर्थिक दृष्टि से स्वतंत्र होगी तो सास , ननंद उसे उसके साथ बुरा व्यवहार नहीं करेंगी । और बहुत नाराज हो जाने से एक अच्छी खासी आय हाथ से निकल जाने का डर भी उनका मुख बंद करके रखेगा ।
अब समय आ गया है कि इस कृति का समूल उखाड़ फेंकगे ।
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